रामचरित मानस

210 भाग

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लंकाकाण्ड रावण मूर्च्छा, रावण यज्ञ विध्वंस, राम-रावण युद्ध दोहा : * देखि पवनसुत धायउ बोलत बचन कठोर। आवत कपिहि हन्यो तेहिं मुष्टि प्रहार प्रघोर॥83॥ भावार्थ:- यह देखकर पवनपुत्र हनुमान्‌जी कठोर वचन ...

अध्याय

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